| 1. | प्रकृति का यह गान ही ग्राम गीत है.... ।
|
| 2. | छत्तीसगढ़ी में उन्होंने भूल भुलैया, गींया और छत्तीसगढ़ी ग्राम गीत लिखा है।
|
| 3. | यह पाठ पंडित राम नरेश त्रिपाठी के “ ग्राम गीत ” में संकलित है।
|
| 4. | प्रकृति का यह गान ही ग्राम गीत है…. ।' इस लोक संस्कृति का ही एक पहलू है-कजरी।
|
| 5. | पंडित रामनरेश त्रिपाठी के शब्दों में-‘ ग्राम गीत प्रकृति के उद्गार हैं, इनमें अलंकार नहीं, केवल रस है।
|
| 6. | वैसा सुगन्ध, स्वाद और रूप बासमती में क्या मिलेगा? ; चैती-चैत के महीने में गाया जाने वाला ग्राम गीत ;
|
| 7. | पंडित शुकलाल पांडेय ने छत्तीसगढ़ी में भूल भुलईया, गींया, छत्तीसगढ़ी ग्राम गीत, कलिकाल, उपसहा दामाद, सीख देवैया, केकरा धरैया आदि लिखा है।
|
| 8. | अक् सर हम लोग गाना शुरू करते थे, कभी-कभी राजनीतिक गाने पर ज् यादातर ग्राम गीत, खासकर भावुक गाने या मातृभूमि के बारे में देश भक्ति के गाने आदि।
|